दो कदम और जो हम साथ जाते
तो पल-पल मिलने की इच्छा को यूं ना दबाते ..
रूठ जाते जो तुम..
बाहों में भर गले हम लगाते,
यूं दूर-दूर से न तुमको मनाते
दो कदम और जो हम साथ जाते..
सपनों और अरमानों की झिलमिल सी दुनिया
संग मिल कर उसे,
हक़ीक़त में सजाते
दो कदम और जो हम साथ जाते......
तो पल-पल मिलने की इच्छा को यूं ना दबाते ..
सही-गलत की उलझन से हम परे रह जाते
दो कदम और जो हम साथ जाते..
रूठ जाते जो तुम..
बाहों में भर गले हम लगाते,
यूं दूर-दूर से न तुमको मनाते
दो कदम और जो हम साथ जाते..
सपनों और अरमानों की झिलमिल सी दुनिया
संग मिल कर उसे,
हक़ीक़त में सजाते
दो कदम और जो हम साथ जाते......
Bahut badhiya likha hai..
ReplyDeletecome to my blog www.pradip13m.blogspot.com
Plz remove word verification in comment..